अमेरिका में पहली बार जेनेटिकली मॉडिफाइड इंसानी भ्रूण विकसित किए गए हैं। डिजाइनर बेबी पैदा करने की दिशा में बेशक ये कोई क्रांति नहीं है, लेकिन इस ओर पहला कदम बढ़ाया गया है।
बीते साल चीन ने भी ये कोशिश की थी। वैज्ञानिकों ने मानव भ्रूण को बदलने के लिए CRISPR नाम की एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जो जींस में काट-छांट कर सकती है। इस मामले में इसने दिल का दौरा पड़ने वाले जींस हटा दिए, हालांकि इससे फिर से नैतिकता से जुड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं, लेकिन अब तक इंसानी भ्रूण को इंसान के भीतर रोपा नहीं गया है।
ये आम कोशिकाएं नहीं हैं, बल्कि पहली बार जेनिटिकली विकसित किए गए इंसानी भ्रूण हैं, जो अमेरिका में तैयार किए गए हैं। चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस बात की पहचान की है कि कैसे वह जीन को हटा सकते हैं, जिसकी वजह से बाद के जीवन में दिल की परत मोटी हो जाती है और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।
कश्मीर में जन्मे और दिल्ली में पढ़े डॉ संजीव कौल भी इस टीम के एक सदस्य हैं, जो बाद में अमेरिका चले गए। मौजूदा नैतिक गाइडलाइंस ने यह इजाज़त नहीं दी कि इन जींस को किसी कोख में डाला जाए, लेकिन इससे कई संभावनाएं पैदा हो गई हैं।
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