डिजाइनर बच्चे की तरफ अमेरिका का पहला कदम

अमेरिका में पहली बार जेनेटिकली मॉडिफाइड इंसानी भ्रूण विकसित किए गए हैं। डिजाइनर बेबी पैदा करने की दिशा में बेशक ये कोई क्रांति नहीं है, लेकिन इस ओर पहला कदम बढ़ाया गया है।

बीते साल चीन ने भी ये कोशिश की थी। वैज्ञानिकों ने मानव भ्रूण को बदलने के लिए CRISPR नाम की एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जो जींस में काट-छांट कर सकती है। इस मामले में इसने दिल का दौरा पड़ने वाले जींस हटा दिए, हालांकि इससे फिर से नैतिकता से जुड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं, लेकिन अब तक इंसानी भ्रूण को इंसान के भीतर रोपा नहीं गया है।

ये आम कोशिकाएं नहीं हैं, बल्कि पहली बार जेनिटिकली विकसित किए गए इंसानी भ्रूण हैं, जो अमेरिका में तैयार किए गए हैं। चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस बात की पहचान की है कि कैसे वह जीन को हटा सकते हैं, जिसकी वजह से बाद के जीवन में दिल की परत मोटी हो जाती है और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।

कश्मीर में जन्मे और दिल्ली में पढ़े डॉ संजीव कौल भी इस टीम के एक सदस्य हैं, जो बाद में अमेरिका चले गए। मौजूदा नैतिक गाइडलाइंस ने यह इजाज़त नहीं दी कि इन जींस को किसी कोख में डाला जाए, लेकिन इससे कई संभावनाएं पैदा हो गई हैं।

शनि ग्रह से टकराकर नष्ट होगा नासा का अंतरिक्षयान

लगातार 13 साल तक शनि ग्रह के अपने मिशन का सफलतापूर्वक संचालन करने के बाद इस ग्रह तक पहुंचा पहला मानव निर्मित अंतरिक्षयान 'कैसिनी' अपना आखिरी और आत्मविध्वंसक उड़ान भरने को तैयार है। शुक्रवार 15 सितंबर को 3.26 डॉलर लागत वाले इस शनि मिशन का अंत करते हुए कैसिनी सौर्यमंडल के विशालकाय ग्रह शनि से टकराकर हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।  कैसिनी मिशन टीम ने इस अंतरिक्ष यान को समाप्त करने का निर्णय शनि ग्रह के वृहद पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए लिया है। इस ग्रह के अपने ढ़ेरों चंद्रमा हैं। इनमे से कम से कम दो चंद्रमा ऐसे हैं जिनपर जीवन पनपने की अनुकूल परिस्थिति मौजूद है। इनका नाम है एन्सेलाडस और टाइटन। एन्सेलाडस के सतह के नीचे समुद्र मौजूद है वहीं टाइटन पर मीथेन के तालाब हैं।  कैसिनी को नष्ट करके नासा के वैज्ञानिक यह सुनिश्चित करना चाहते हैंकि भविष्य में कभी यह अंतरिक्षयान इन चंद्रमाओं के पास पहुंचकर पृथ्वी से लाए गए किसी संभावित सूक्ष्म जीवाणु से इन्हें दुषित न कर दे। इस यान का ईधन अब कम हो चुका है। वैज्ञानिकों ने इससे संपर्क टूटने से पहले इसे समाप्त करने का निर्णय लिया है।  कैसिनी का प्रक्षेपण सन 1997 में हुआ था और वह सन 2004 में शनि ग्रह की कक्षा में पहुंचा था। पिछले 13 सालों से वह शनि और इसके 62 ज्ञात चंद्रमाओं के इर्द-गिर्द चक्कर काट रहा था और इनकी तस्वीरें और अन्य डाटा भेज रहा था। इस मिशन से प्राप्त डाटा के आधार पर कम से कम 4000 वैज्ञानिक पेपर प्रकाशित हुए हैं।  अपने जीवन के अंतिम दिन यानी 15 सितंबर को यह मानव निर्मित अंतरिक्षयान इस ग्रह के छल्लों और इसके सतह के बीच कुल 22 गोते लगाएगा और अपने अंतिम गोते में यह शनि के वातावरण में प्रवेश कर हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगा। अपने अंत समय तक कैसिनी पृथ्वी पर शनि से जुड़े महत्वपूर्ण डाटा भेजता रहेगा।

सीडब्ल्यूएसएन स्कीम दिव्यांगों को सामान्य बच्चों कि तरह देता है अधिकार

अच्छी शिक्षा और मेयारी तालीम हर भारतिय बच्चे का हक़ है।सरकार ने दिव्यांग बच्चों के विकास और उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत बच्चों की विशेष आवश्यकताओं के साथ साथ अच्छी तालिम का इंतज़ाम किया जाता है और (सीडब्ल्यूएसएन) के द्वारा विशेष रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है। 

शिक्षा विभाग ने एसएसए के आईईडी घटक के तहत सीडब्ल्यूएसएन के लिए मुख्य शिक्षा कार्यालय परिसर उधमपुर में एक संसाधन कक्ष की स्थापना की। सीडब्ल्यूएसएन स्कीम का मकसद दिव्यांग और स्पेशल बच्चों को सामान्य बच्चों के तरह ही शिक्षा दी जाए जो कि उनका अधिकार है।

स्पेशल बच्चों के लिए सीडब्ल्यूएसएन के अध्यापकों को नियुक्त किया गया है। बच्चों के लिए रिसोर्स रूम भी बनाया गया है जहां इनकी ज़रुरत का हर सामन होता है।दिव्यांग बच्चे और उनके माता-पिता बहुत खुश हैं कि उनके बच्चे अब आम बच्चों की ही तरह स्कूल जाते हैं। इस योजना के माध्यम से 50 छात्रों ने, 20 से अधिक विद्यालयों और अलग-अलग स्कूलों में दाखिल किया गया है।

20 छात्र विभिन्न स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, और 16 छात्र स्कूल में दाखिले के लिए तैयार हैं। (सीडब्ल्यूएसएन) बच्चों में सामान्य बच्चों से अधिक प्रतिभा होती है। आवश्यकता है उस प्रतिभा को उचित मंच प्रदान करने और ऐसे बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने की।

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