Biofilm ( जैव झिल्ली )

Biofilm ( जैव झिल्ली )

·         सूक्ष्म जीवो के समुदाय से बनी परत नुमा संरचना जो एक दुसरे अथवा किसी आधार से जुडी होती है जैव झिल्ली कहलाती है
जैसे – जल में डूबी चट्टानों पर बनी हुई slimy परत, दांतों पर जमी चिकनी परत, अथवा पानी व सीवर के पाइपो में जमी हुई slimy layer बायोफिल्म कहलाती है,

Stage of Biofilm Development
  • सरल बायोफिल्म सुक्ष्मजीवों की एकल परत का रूप में होती है, जो अन्य सूक्ष्म जीवो के एकत्र होने पर जटिल हो जाती है यह सुक्षम्जीव glycoprotien अथवा polysecheride के स्त्रावण के कारण आधार से सलग्न हो जाती है , अन्य सूक्षम जीव भी इस परत से आकर जुड़ जाते है |
  • सूक्ष्मजीवों द्वारा स्त्रावित EPS (extra cellular polysecheride ) में ग्लूकोज, fructose, manose galectose आदि शर्कराए उपस्थित होती है,
  • इस EPS में कार्बनिक पदार्थ, मृत कोशिकाएं लवण आदि पदार्थ भी फंस जाते है जिससे यह जटिल हो जाती 
  • इस जटिल बायोफिल्म में कोशिकाओं के समूह के बीच में छिद्र तथा वाहिकाएं उपस्थित होती है जिनके मध्य से जल के प्रवाह के साथ साथ पोषक पदार्थों का भी संवहन होता है
  • बायोफिल्म की भीतरी परतों में उपस्थित microbs कभी कभी कार्य करना वंद कर देते है किन्तु वे जीवित रहते है, जबकि इसके बाहर की और उपस्थित कोशिकाएं कार्यशील होती है जो multipication करती रहती है, कभी कभी कुछ microbs अलग होकर नई बायोफिल्म का निर्माण करती है
  • इन जटिल बायोफिल्म में cynobacteria के तंतु भी भी शामिल हो जाते है जिससे microbs के जाल बन जाते है, इन जालों में प्रकाश की भेदन क्षमता बहुत कम (1mm) होती है अता इसमें सबसे ऊपर प्रकाश शंश्लेशी क्षेत्र होता है तथा उसके नीचे अवायवीय क्षेत्र होता है, जहाँ facultative chemoheterothrophs उपस्थित होते है, तथा सबसे नीचे SO4 अपचयन करी जीवाणु पायें जाते है |



Importance  of Biofilm

इनके लाभदयक और हानिकारक दोनों प्रकार के प्रभाव दिखाई देते है जैसे –

लाभदयक-
  • सीवरेज के जल के परिशोधन मे
  • जेव रियक्टर में संवर्धित करने पर यह कार्बनिक पदर्थों का अपघटन कर मीथेन गेस बनाते है जिसका उपयोग इंधन में किया जाता है
  • पादपों की मूलों के साथ जुड़ कर पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करते है
  • जीवों की सतह पर उपस्थित बायोफिल्म रोगकारी microbs से रक्षा करने में मदद करती है


    हानिकारक
  • यह टेंक पाइप बर्तनों आदि में संक्षरण करती है
  • मनुष्य के दांतों के क्षरण के लिए उत्तरदाई होती है
  • यह Cystic fibrosis, Valv संक्रमण, कर्ण संक्रमण, मूत्र मार्ग संक्रमण आदि का कारण बनती है 

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